लेखनी प्रतियोगिता -12-Jul-2023....मोलभाव....
अरे बहनजी..... सवेरे बोनी का वक्त हैं.... तीन साड़ियों में बात पक्की किजिए ना..।
नहीं भाईसाहब.... दो से ज्यादा एक कपड़ा तक नहीं दूंगी..। एक दम नयी नयी साड़ियां हैं... आप देखो तो सही...। सिर्फ दो तीन बार ही पहनी हैं....। इस टब के लिए तो दो भी ज्यादा हैं...।
सवेरे सवेरे अनिता पूराने कपड़ों के बदले बर्तन देने वाले से करीब आधे घंटे तक बहस करतीं रहीं...। आखिर कार बर्तन वाले ने हार मान ली ओर दो साड़ी के बदले टब देने को तैयार हो गया....।
अनिता अपनी जीत पर खुश होकर भीतर जा ही रहीं थीं की एक औरत..... जिसकी हालत बेहद खराब थीं... उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए ओर एकदम मैले थे...। तन पर रखी साड़ी यूं समझों उसकी काया को बस बुरी नजर से बचाने की भरसक कोशिश कर रहीं थी....उसने अनिता से कुछ खाने को मांगा....।
अनिता ने घृणा भरी नजरों से उसे देखा...। पहले तो उसने कुछ भी देने को मनाकर दिया ओर उसे जलीकटी भी सुनाई...। पर थोड़ी देर बाद उसने रसोई में से रात की बची हुई एक बासी रोटी मंगवाई... क्योंकि बर्तन वाला शख्स अभीभी अपनी गठरी बांध रहा था.... अनिता उसके आगे एक तरह से दिखावा ही कर रहीं थीं...।
इतने में बर्तन वाला भी गठरी बांध चुका था... वो वहां से जाने लगा.... वो भिखारन भी बासी रोटी लेकर सड़क की ओर जाने लगी...। अनिता उन दोनों के जाने के बाद हाथ में टब लिए मुस्कुराती हुई दरवाजा बंद करने लगी तो उसकी नजर सामने वाली सड़क पर गई..... उसने देखा वो बर्तन वाला उसकी ही दी हुई दो साड़ियों में से एक साड़ी निकाल कर उस भिखारन को दे रहा था...।
हाथ में पकड़ा हुआ टब अब उसे चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था....। बर्तन वाले के सामने वो खुद को बहुत हीन महसूस कर रहीं थीं....।
*****कुछ देने के लिए आदमी की हैसियत नहीं.... दिल बड़ा होना चाहिए...। आपके पास क्या हैं ओर कितना हैं... वो मायने नहीं रखता.... आपकी सोच और नियत कैसी हैं... वो मायने रखता हैं...। ****
# दैनिक प्रतियोगिता के लिए
Gunjan Kamal
14-Jul-2023 12:13 AM
सुंदर प्रस्तुति
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Varsha_Upadhyay
13-Jul-2023 07:11 PM
बहुत खूब
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Babita patel
13-Jul-2023 06:25 PM
nice
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